UGC Launched Apprenticeship-Embedded Degree Program to Close Skill Gap and Boost Job Readiness

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UGC to Unveil Apprenticeship Embedded Degree Programme (AEDP) to Bridge Skill Gap

The University Grants Commission (UGC) is set to launch the Apprenticeship Embedded Degree Programme (AEDP), aimed at addressing the skill gap between academic learning and industry demands. This initiative seeks to enhance the employability of undergraduate students by integrating practical, hands-on apprenticeship training into their degree programmes.

The draft guidelines for the AEDP, which were reviewed during a UGC meeting on October 3, will soon be made available on the UGC website for public consultation, inviting feedback from stakeholders, including higher education institutions (HEIs), students, and industry leaders.

Key Highlights of the AEDP:

  • Programme Purpose:
    The AEDP is designed to give undergraduate students the opportunity to gain experiential learning alongside theoretical education, providing them with the skills that employers are looking for in the workforce.
  • UGC Chairman’s Vision:
    Prof. M Jagadesh Kumar, UGC Chairman, emphasized the significance of this initiative, stating, “Students will gain experiential learning alongside theoretical knowledge, equipping them with the competencies employers seek. We urge all eligible higher education institutions to take advantage of these guidelines and offer AEDP programmes starting from the January-February 2025 academic session.”

Programme Structure:

  • Eligibility:
    The AEDP applies to undergraduate courses offered by UGC-recognized higher educational institutions that meet specific accreditation or ranking criteria.
  • Integration of Apprenticeship:
    AEDP will merge classroom learning with on-the-job training (OJT), helping students develop industry-relevant skills. This will allow them to seamlessly transition from academic settings to professional environments.
  • Learning Outcomes:
    The guidelines highlight the importance of achieving specific learning outcomes, ensuring that students acquire the attributes required in modern workplaces.
  • Industry Partnership:
    A key focus of the AEDP is fostering strong partnerships between HEIs and industries, ensuring that curricula are aligned with current industry needs and expectations.

Programme Details:

  • When Apprenticeships Start:
    Apprenticeships can begin as early as the second semester of an undergraduate programme, with apprenticeships making up to 50% of the degree duration.
  • Duration and Credits:
    A minimum of one continuous semester of apprenticeship is required. Students earn credits based on hours spent in training, with a full year of apprenticeship equating to at least 40 credits. This credit system is aligned with the National Credit Framework.
  • Evaluation:
    The performance of students will be evaluated through a comprehensive process involving faculty mentors, industry professionals, and the HEI.
  • Stipends:
    Students may be eligible for stipends under the National Apprenticeship Training Scheme (NATS) or the Apprentices Act, 1961, depending on the partnership.

Monitoring and Feedback:

  • Post-Programme Monitoring:
    HEIs will monitor student progress after completing the AEDP to assess its effectiveness. The focus will be on tracking student employability and identifying areas for improvement.
  • Tripartite Agreement:
    A unique feature of the AEDP is a tripartite agreement between the HEI, industry, and student, clearly defining each party’s roles and responsibilities.

Public Consultation:

The UGC encourages all stakeholders—students, HEIs, industries, and the general public—to participate in the feedback process. The draft guidelines will soon be available for comments and suggestions, ensuring the AEDP meets the needs of all involved parties before final implementation.

यूजीसी स्किल गैप को पाटने के लिए ‘अप्रेंटिसशिप एंबेडेड डिग्री प्रोग्राम (AEDP)’ की शुरुआत करेगा

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने अप्रेंटिसशिप एंबेडेड डिग्री प्रोग्राम (AEDP) शुरू करने की योजना बनाई है, जिसका उद्देश्य शैक्षणिक शिक्षा और उद्योग की मांगों के बीच कौशल अंतर को कम करना है। इस पहल का उद्देश्य स्नातक छात्रों की रोजगार क्षमता को बढ़ाना है, ताकि उनके डिग्री कार्यक्रमों में व्यावहारिक, ऑन-द-जॉब ट्रेनिंग को शामिल किया जा सके।

AEDP के मसौदा दिशानिर्देश, जो 3 अक्टूबर को यूजीसी की बैठक के दौरान समीक्षा किए गए थे, जल्द ही सार्वजनिक परामर्श के लिए यूजीसी की वेबसाइट पर उपलब्ध कराए जाएंगे। इसमें उच्च शिक्षा संस्थानों (HEIs), छात्रों और उद्योग जगत के नेताओं सहित सभी हितधारकों से प्रतिक्रिया आमंत्रित की जाएगी।

AEDP की प्रमुख विशेषताएं:

  • कार्यक्रम का उद्देश्य:
    AEDP का उद्देश्य स्नातक छात्रों को सैद्धांतिक शिक्षा के साथ-साथ प्रायोगिक अनुभव प्राप्त करने का अवसर देना है, जिससे उन्हें उद्योगों में आवश्यक कौशल मिल सके और वे कार्यबल में दक्ष हो सकें।
  • यूजीसी चेयरमैन का विजन:
    प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार, यूजीसी चेयरमैन ने इस पहल की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा, “छात्र सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करेंगे, जिससे वे नियोक्ताओं द्वारा मांगे जाने वाले कौशलों से लैस होंगे। हम सभी पात्र उच्च शिक्षा संस्थानों से आग्रह करते हैं कि वे इन दिशानिर्देशों का लाभ उठाएं और जनवरी-फरवरी 2025 शैक्षणिक सत्र से AEDP कार्यक्रम शुरू करें।”

कार्यक्रम की संरचना:

  • योग्यता:
    AEDP उन स्नातक पाठ्यक्रमों पर लागू होगा, जिन्हें UGC द्वारा मान्यता प्राप्त उच्च शिक्षा संस्थान चलाते हैं और जो कुछ विशेष मान्यता या रैंकिंग मानदंडों को पूरा करते हैं।
  • अप्रेंटिसशिप का समावेश:
    AEDP के तहत क्लासरूम लर्निंग और ऑन-द-जॉब ट्रेनिंग (OJT) को जोड़ा जाएगा, जिससे छात्रों को उद्योग-संबंधित कौशल विकसित करने में मदद मिलेगी और वे शैक्षणिक वातावरण से पेशेवर वातावरण में आसानी से प्रवेश कर सकेंगे।
  • लर्निंग आउटकम्स:
    दिशानिर्देशों में विशिष्ट सीखने के परिणामों को प्राप्त करने की महत्ता पर जोर दिया गया है, ताकि छात्रों को आधुनिक कार्यस्थल में आवश्यक गुणों का विकास हो सके।
  • इंडस्ट्री पार्टनरशिप:
    AEDP का एक प्रमुख उद्देश्य HEIs और उद्योगों के बीच मजबूत साझेदारी को बढ़ावा देना है, ताकि पाठ्यक्रम को उद्योग की मौजूदा जरूरतों के साथ जोड़ा जा सके।

कार्यक्रम के विवरण:

  • कब शुरू होगी अप्रेंटिसशिप:
    अप्रेंटिसशिप की शुरुआत दूसरे सेमेस्टर से की जा सकती है और यह डिग्री की कुल अवधि का 50% हिस्सा हो सकती है।
  • अवधि और क्रेडिट्स:
    न्यूनतम एक सतत सेमेस्टर की अप्रेंटिसशिप अनिवार्य होगी। छात्रों को प्रशिक्षण के दौरान खर्च किए गए घंटों के आधार पर क्रेडिट्स प्राप्त होंगे, जिसमें एक वर्ष की अप्रेंटिसशिप के लिए कम से कम 40 क्रेडिट्स दिए जाएंगे। यह क्रेडिट प्रणाली राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क के साथ संरेखित होगी।
  • मूल्यांकन:
    छात्रों के प्रदर्शन का मूल्यांकन समग्र प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा, जिसमें फैकल्टी मेंटर्स, उद्योग के पेशेवर और HEI शामिल होंगे।
  • स्टाइपेंड:
    छात्रों को राष्ट्रीय अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण योजना (NATS) या अप्रेंटिस एक्ट, 1961 के तहत स्टाइपेंड मिलने की संभावना है, जो साझेदारी के अनुसार होगा।

निगरानी और प्रतिक्रिया:

  • प्रोग्राम के बाद की निगरानी:
    HEIs AEDP पूरा करने के बाद छात्रों की प्रगति की निगरानी करेंगे, ताकि इसकी प्रभावशीलता का आकलन किया जा सके। इसका उद्देश्य छात्रों की रोजगार क्षमता को ट्रैक करना और सुधार के क्षेत्रों की पहचान करना है।
  • त्रिपक्षीय समझौता:
    AEDP का एक अनूठा पहलू HEI, उद्योग, और छात्र के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता है, जो प्रत्येक पक्ष की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को स्पष्ट करता है।

सार्वजनिक परामर्श:

UGC सभी हितधारकों – छात्रों, HEIs, उद्योगों और आम जनता – से प्रतिक्रिया प्रक्रिया में भाग लेने का आह्वान करता है। मसौदा दिशानिर्देश जल्द ही सुझाव और सिफारिशों के लिए उपलब्ध होंगे, ताकि सभी संबंधित पक्षों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए AEDP का अंतिम क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।

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